Sunday, 22 June 2008

रे दिल गाफिल गफलत मत कर

रे दिल गाफिल गफलत मत कर,

एक दिना जम आवेगा ॥

सौदा करने या जग आया,

पूँजी लाया, मूल गॅंवाया,

प्रेमनगर का अन्त न पाया,

ज्यों आया त्यों जावेगा ॥ १॥

सुन मेरे साजन, सुन मेरे मीता,

या जीवन में क्या क्या कीता,

सिर पाहन का बोझा लीता,

आगे कौन छुडावेगा ॥ २॥

परलि पार तेरा मीता खडिया,

उस मिलने का ध्यान न धरिया,

टूटी नाव उपर जा बैठा,

गाफिल गोता खावेगा ॥ ३॥

दास कबीर कहै समुझाई,

अन्त समय तेरा कौन सहाई,

चला अकेला संग न कोई,

कीया अपना पावेगा ॥ ४॥

कबीर

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